Tuesday, October 20, 2009

Beta

बेटा 

कोख का सुख
लो़क का सुख
परलोक का संभावित सुख
सभी कुछ पाया
जब बेटा जना मैंने

आशीषों की वर्षा से भीग उठी मैं
बेटा पा जी उठी मैं

बढता रहा समय
बदलते गए कलेंडर
और
आज जब बाप का जूता पहना है उसने
खुश होने का जगह
सहम गयी हूँ मैं उसका बदलाव देख कर

किस ने छीन ली है मुझसे उसकी  छुअन
क्या समय ने ?
ए़क सवाल पूछती हूँ आप से
बेटा बड़ा हो कर आदमी क्यों बन जाता है ?

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